GUDDU MUNERI

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बचपन जवानी


      [ बचपन - जवानी ] 


चलते चलते मेरे पांव में छाले आ गए 

गुजरा क्या बचपन संघर्ष के दिन आ गए 


बचपन के खेल खिलोने और दोस्त अब कहां ?

आई जवानी तो फिर बचपन सा प्यार कहां ?


सफलता की राह में दौड़ने के लिए तैयार हूं 

मैं बचपन से अब बाहर आने को तैयार हूं 


लेकिन क्या करू मैं अब  जवानी आ ही गई है 

मैं जवां होकर भी बचपन में जाने को तैयार हूं 


गांव गांव है शहर शहर है जिसको जो भाए

कोई तो जागे जो मेरा खोया बचपन लौटाए 


लोगो में अब वो पहले जैसी अदा कहां है ?

जो खेलते थे कभी बच्चो के संग बच्चे बनकर 

वो अब बड़े कहां है 


      - गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

      - दिनांक : २४/०१/२०२४


आज की प्रतियोगिता हेतु 

टॉपिक : स्वेच्छिक 





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13 Comments

Mohammed urooj khan

27-Jan-2024 02:10 PM

शानदार 👌🏾👌🏾👌🏾

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सुन्दर सृजन

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Milind salve

24-Jan-2024 11:44 PM

V nice

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